बातें दिल की
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नमस्कार ! #_साहित्यपीडिया परिवार के लिए कुछ शेर पेश कर रहा हूं ….
आप सब की #_तबज्जो चाहूंगा…
कितनी आसानी से कह दिया कि तू मर गया मेरे लिये /
एक हम थे जो पूरी कायनात छोड़ बैठै थे तेरे लिये //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
बर्बाद हो गये हम इमान तक सौंप दिया तुझे /
मगर अफसोस तेरे काबिल न बने सके हम //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
तुमने गैरों से सुना और यकीं भी कर लिया /
भरोसा था तो जरा खुद से भी तो सोंचा होता //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
मुजरिम ठहरा दिया और सजा का भी ऐलान कर दिया /
पर बताया नहीं तुमने कि हमनें कौन सा गुनाह कर दिया //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
अगर गुनाह करता तो इल्जाम भी अपने सिर लेता मैं /
मेरा इश्क देख वेगुनाहागार होते हुये सजा कुबूल की है //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
दुनिया अलग थी तेरी फिर भी तेरे शहर आये हम /
पर पता न था कि तेरा दिल भी वेमतलब सा निकलेगा //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
इश्क मे बफा की यही तो खता थी न मेरी #_”सागर” /
तो सजा में वेवफाई से वेहतर मौत क्यों न दी तुमने //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
तेरी ये दौलत, शौहरत और जिस्म मुबारक हो तुझको ही /
दिल की दुनिया में तो सिर्फ मोहब्बत कुबूल की जाती है //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
आंखो में अश्क नहीं तो ये न समझ कि गम में नहीं मैं /
मेरे दिल में झांक कर देख समन्दर में तूफान से उठ रहें हैं //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
ऐ खुदा बुला ले करीब तू मुझे, शौक से जाह’उन्नम अदा फरमा /
किसी वेगुनाहागार की आंखो मे, मेरी बजह से “अश्क” छलके हैं //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
मस’अला किसी गैर को संभालने का होता तो संभाल लेते /
यहां मस’अला खुद का था सागर विखरना तो लाजिमी ही था //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
कोई मस’अला होता तो सुलाह करते हम /
पर गलतफहमी थी उसे , क्या करते हम //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
तू न था तो त’असल्ली थी, कि कोई नहीं है /
अब तू है पर मेरा नहीं, बता सब्र कैसे करूं मैं //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
हमें जिस्म की जरुरत होती तो बाजार चले जाते /
हमें तुझसे तो बस मुकम्मल ” प्यार ” चाहिए था //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
मुबारक हो तुझे रोशनी शहर की हमें नहीं भाती /
मैं गांव का हूं अंधेरे में भी चहेरे पहचान लेता हूं //
#राहुल_कुमार_सागर_बदायूंनी
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