बातें : इधर की उधर की या ज्ञानीचोर का दिल
एक आशियाना खोज के,मैं लौट आया।
आँखों ही आँखों में खा के चोट आया।। टेक।।
बातों ही बातों में दिल में खोट आया।
नजरों ही नजरों में प्रश्न छोड़ आया।।
एक आशियाना खोज……………..।
दिल से सूरत आँखों से मस्ती
मैं किसी की चोर लाया।
परदे की बाते,बेपरदा करके
देखो ज्ञानीचोर आया।।
हल्के-हल्के से मैं,
सारी बातें बोल आया।
परदेशी के परदे की मैं
सारी डोर खोल आया।।
एक आशियाना खोज…………।
आँखों में आँसू,दिल में बैचेनी मैं छोड़ आया।
किसी के सुन्दर से सपनें को,मैं तोड़ आया।
मन-मन्दिर की मूर्ति मैं फोड़ आया।
किसी के प्यारे-प्यारे भावों को ,मरोड़ आया।
एक आशियाना खोज……………….।
एक साथ की आश,वो मैं छोड़ आया।
साथी को मैं साथ,नहीं ले आया।
मोटी – मोटी आँखों में , सलाम आँसू दे आया।
एक आशियाना खोज………………..।
किसी के ख्वाब की खबर को मैं ले आया।
दिल में डूबी रब की फरियाद को जगा आया।
साँसों को मैं साँसों से,जोड़ आया।
दिल के तारों से, मैं तराने छेड़ आया।
एक आशियाना खोज………………….।
आपसे मैं आपको चुरा लाया।
पास होकर दूर से पुकार लाया।
अपनी वाणी से मैं उसकों झंकार आया।
सोणा-सोणा मुखड़ा निखार आया।
एक आशियाना खोज…………………।
ज्ञानीचोर
(………… समर्पित)
9001321438