बातचीत
बातचीत
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क्या करूँ बातचीत
सब व्यर्थ की बातें हैं,
बातचीत में वो प्यार,
दुलार, अपनापन सब,
अब तो जैसे गायब है।
किसे फुर्सत है जो बैठकर
आपस में बातचीत करे हमसे।
आपाधापी मचा है जीवन में,
जो वक्त मिले भी तो
सभी सोशल मीडिया की उलझन में।
हालत ऐसे हो रहे हैं कि
शौचालय में भी मोबाइल
साथ ले जा रहे हैं,
छोटी छोटी बातें भी
अब सोशल मीडिया से कर रहे है।
एक ही छत के नीचे रहकर भी
आपस में आमने सामने कम,
सोशल मीडिया पर ज्यादा
आपसी बातचीत भी कर रहे हैं।
बातचीत का बहुत बहाना हो भी
तो क्या?
अब तो यारों
सोशल मीडिया का ही जमाना है।
आमने सामने आपस में बातचीत का
अब तो गुजरा जमाना है,
सोशल मीडिया से दूर लोगों का
न कोई ठिकाना है।
@सुधीर श्रीवास्तव