बाजी प्यार की हार गए
बाजी प्यार की हार गए
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222 122 112 (ग़ज़ल)
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बाजी प्यार की हार गए,
साजन छोड़ संसार गए।
कोई साथ जाता न वहाँ,
रो रो कर सभी हार गए।
मिलता है कहीं ठौर नहीं,
सब के बंद हो द्वार गए।
मतलब की नज़र देख रहे,
सारे मतलबी पार गए।
अपनों से मिले नैन नहीं,
वैरी जिंदगी ठार गए।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)