बागक सुख
हरियर बगिचामे फुलक रंग देख,
सूरजक किरणसँ जीवनक पंख फलक देख।
नदीक लहरक संग मनक गान सुन,
ताराक जालमे चाँदक मुस्की देख।
पक्षी सभक चहचहाहट सँ मन हर्षाए,
धरतीक ममता सँ प्रेमक रस बहाए।
पवनक सुकुमार स्वरसँ मनक बात बुझ,
फूलक सौगात सँ हर दर्द बुझा दिअ।
बगिचाक हर कोना सुखक संदेश ल’ क’ आए,
जीवनक हर पल सौंदर्य संग सहेज।
—-श्रीहर्ष—