बाकी सब मैं भूल गयी हूँ
याद तुम्हीं रहते हो अब बस
बाकी सब मैं भूल गयी हूँ
झाड़ू पौछा चूल्हा चौका
चौक पूरना भूल गयी हूँ
जाती थी सखियों संग पनघट
पानी भरना भूल गयी हूँ
कब दिन निकला हुई शाम कब
रात की निंदिया भूल गयी हूँ
कंगन पायल गजरा बिछुआ
काजल बिंदिया भूल गयी हूँ
याद तुम्हीं रहते हो अब बस
बाकी सब मैं भूल गयी हूँ।
सविता गर्ग “सावी”
पंचकूला