रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
*आओ गाओ गीत बंधु, मधु फागुन आया है (गीत)*
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
बदलाव की ओर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
" हो सके तो किसी के दामन पर दाग न लगाना ;
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
गुज़र गयी है जिंदगी की जो मुश्किल घड़ियां।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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— नारी न होती तो —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का