बाईस फरवरी बाइस।
रचना तिथि 22/02/22
मंगल दिन ऋतुराज का मौसम,
बाईस फरवरी बाइस।
सौ वर्षों में ये क्रम आता,
ये तिथि कितनी नाइस।
पूरी तिथि में एक अंक है,
दो दो दो फिर दो दो।
सारा जीवन लो में जाता,
आज का दिन कह दो दो।
क्या दो ये है खुद तय कर लो,
कैसे क्या समझाऊं।
सृजन तो राम चरन अनुरागी,
बस माधव गुन गाऊं।
हर दिन एक गुहार लगाता,
प्रभु निज भक्ति दो दो।
निश दिन करूँ हरि तेरी सेवा,
ऐसी गति और मति दो।
तुम चाहो तो दे सकते हो,
मात पिता का मान।
कुछ पल सन्त जनों की सेवा,
वा हरि का गुणगान।
जीवन में फिर नहीं आएगी,
पांच अंको की बाइस।
नहीं गहा ‘दो’ तो पछतावा,
गहा तो वेरी नाइस।
सतीश सृजन