बांहों में आओ तो सही
**बांहों में आओ तो सही**
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बांहों में आओ तो सही,
वो लम्हें लाओ तो सही|
घुटता है दम तन्हाइयों में,
दो पग बढ़ जाओ तो सही|
डूबे हम अरमानों में सदा,
कीमत कुछ पाओ तो सही|
संभल कर रख दो दो कदम,
ठोकर गर खाओ तो सही|
मनसीरत सुनता है गजल,
गीतों को गाओ जो सही|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)