” बांकी रह गया “
कविता -12
दिल मे स्वागत तो हुआ मगर
दहलीज में करना बाकी रह गया
कुछ पल तेरे साथ चला मगर
जीवन भर साथ चलना बांकी रह गया
मेरी आँखों ने ख्वाब बहुत संजोये थे
मगर साकार करना बाकी रह गया
तुझे मांगने की मन्नत पूरी हुई मगर
मांग में सिन्दूर भरना बाकी रह गया
तेरी हर याद मेरे साथ है मगर
तेरे साथ रहना बांकी रह गया