Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2022 · 1 min read

बांकी रहा

जिंदगी के इस उम्र में भी
जिंदगी को समझना बांकी रहा।
सब कुछ उन पर हार बैठे मगर
हम पर उनका यकीन बाकी रहा।
उम्र भर मोहब्बत की जिससे
इबादत समझकर मगर उनको
अपना खुदा बनाना बांकी रहा।।

शिव प्रताप लोधी

Language: Hindi
204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from शिव प्रताप लोधी
View all

You may also like these posts

अब नहीं बजेगा ऐसा छठ का गीत
अब नहीं बजेगा ऐसा छठ का गीत
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
15.डगर
15.डगर
Lalni Bhardwaj
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
चलो अयोध्या रामलला के, दर्शन करने चलते हैं (भक्ति गीत)
चलो अयोध्या रामलला के, दर्शन करने चलते हैं (भक्ति गीत)
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
*आजादी की राखी*
*आजादी की राखी*
Shashi kala vyas
"बदलता लाल रंग।"
Priya princess panwar
"हासिल"
Dr. Kishan tandon kranti
*मेरी वसीयत*
*मेरी वसीयत*
ABHA PANDEY
“बायोमैट्रिक उपस्थिति”
“बायोमैट्रिक उपस्थिति”
Neeraj kumar Soni
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
Kumar lalit
सामाजिक और धार्मिक कार्यों में आगे कैसे बढ़ें?
सामाजिक और धार्मिक कार्यों में आगे कैसे बढ़ें?
Sudhir srivastava
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
चंद्रयान-3 और तिरंगा
चंद्रयान-3 और तिरंगा
Naresh Sagar
Cottage house
Cottage house
Otteri Selvakumar
"इश्क़ वर्दी से"
Lohit Tamta
मायका
मायका
Mukesh Kumar Sonkar
किराये का मकान
किराये का मकान
Shailendra Aseem
- महंगाई की मार -
- महंगाई की मार -
bharat gehlot
* चाह भीगने की *
* चाह भीगने की *
surenderpal vaidya
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3034.*पूर्णिका*
3034.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िंदगी की अहमियत
ज़िंदगी की अहमियत
anurag Azamgarh
मन की पीड़ा
मन की पीड़ा
पूर्वार्थ
वो जो कहें
वो जो कहें
shabina. Naaz
#लघु_कविता-
#लघु_कविता-
*प्रणय*
प्रकृति का गुलदस्ता
प्रकृति का गुलदस्ता
Madhu Shah
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरा प्यारा बचपन
मेरा प्यारा बचपन
Heera S
Loading...