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27 Jul 2024 · 1 min read

बह्र …. 122 122 122 122

बह्र …. 122 122 122 122
मुहब्बत भरा तर्जुमा लिखते लिखते,
क़सम से क़लम रो पड़ा लिखते लिखते ,
कि जब आ गया नाम होटों पे तेरा ,
नज़र झुक गई बस, क़ज़ा लिखते लिखते ।
✍️नील रूहानी…

1 Like · 56 Views
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