बह्र …. 122 122 122 122
बह्र …. 122 122 122 122
मुहब्बत भरा तर्जुमा लिखते लिखते,
क़सम से क़लम रो पड़ा लिखते लिखते ,
कि जब आ गया नाम होटों पे तेरा ,
नज़र झुक गई बस, क़ज़ा लिखते लिखते ।
✍️नील रूहानी…
बह्र …. 122 122 122 122
मुहब्बत भरा तर्जुमा लिखते लिखते,
क़सम से क़लम रो पड़ा लिखते लिखते ,
कि जब आ गया नाम होटों पे तेरा ,
नज़र झुक गई बस, क़ज़ा लिखते लिखते ।
✍️नील रूहानी…