“बहेलिया”
अभी उतर प्रदेश में एक बेटी के साथ छेड़खानी की घटना में जो कुछ सरेराह हुआ उसने अंत:कर्ण झझकोर दिया।उसी घटना का परिणाम;-
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“बहेलिया”
हे रे बहेलिया
मत पकड़
मेरे पंख
न कत्तर
मैं निरीह पंछी
कभी खुले आकाश
कभी इस डाल
कभी उस डाल
घूमूँ आज़ाद
उड़ कर
कभी चूम लूँ आसमान
तिनका तिनका जोड़ूं
मैं घोंसला
बसा लूँ अपना घर
क्या मिलेगा तुझे?
मेरे पर कतर
चार पैसे
आज तो तेरा घर चल जाएगा
मेरा घर
बसने से पहले
उजड़ जायेगा।
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राजेश”ललित”शर्मा