बहू है तो बहार है
खुशियों से भरा-पूरा हमारा संयुक्त परिवार है,
सभी मिलकर रहते सबमें खुशियाँ अपार है,
बेटी है घर में तो हरा भरा ये हमारा संसार है,
पर यदि हमारे घर में बहू है तो बसंत बहार है।
अगर घर में बेटी है तो उसे भरपूर प्यार दो,
उच्च संस्कार, सदाचार और आदर्श विचार दो,
एक दिन किसी की बहू बनकर घर में पधारेगी,
लक्ष्मी, सरस्वती बनकर हमारे घर को संवारेगी।
बहू घर की खुशियाँ है, बहू है तो जग सारा है,
बहू से रौशन है घर की रौनकें वर्ना अँधियारा है,
बेटी नहीं पढ़ाओगे या बेटी को नहीं बचाओगे,
तो फिर किस तरह अपने घर बहू को लाओगे।
कुछ दहेज के लोभी बहू को सरेआम जलाते हैं,
ये समाज के दरिन्दे कौड़ी के मोल बिक जाते हैं,
अगर आदर्श बहू लाना है तो एक उपाय करना है,
हर हाल में दहेज रूपी दानव का अंत करना है।
?? मधुकर ??
स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।