बहुरूपिया
देखो यह
बहुरूपिया
क्या-क्या
स्वांग रचाता है!
पूंजीवाद के
इशारे पर
नाना
खेल दिखाता है!
जब जैसा
माहौल हो
वैसा ही
ढ़ल जाता है!
कभी बनता
चौकीदार
कभी चायवाला
बन जाता है!
Shekhar Chandra Mitra
देखो यह
बहुरूपिया
क्या-क्या
स्वांग रचाता है!
पूंजीवाद के
इशारे पर
नाना
खेल दिखाता है!
जब जैसा
माहौल हो
वैसा ही
ढ़ल जाता है!
कभी बनता
चौकीदार
कभी चायवाला
बन जाता है!
Shekhar Chandra Mitra