बहुरूपिए का खेल
चोर-चोर मौसेरे भाई
राम दुहाई! राम दुहाई!!
भोली जनता समझ न पाई
राम दुहाई! राम दुहाई!!
देश बना अब घर अजायब
आंख बंद-पनडिब्बा गायब
ऐसी दिखाई हाथ की सफाई
राम दुहाई! राम दुहाई!!
दोनों हाथों से लुटायी जा रही
पानी की तरह बहायी जा रही
खून-पसीने की अपनी कमाई
राम दुहाई! राम दुहाई!!
कैसा यह बहुरूपिया आया
जिसने ऐसा स्वांग रचाया
कि सबने अपनी मति गंवायी
राम-दुहाई! राम दुहाई!!
Lyricist
Shekhar Chandra Mitra