Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2021 · 1 min read

बहुरि अकेला भव में

नव्य शैशव हुए कितने वीरान
प्लव – प्लव – प्लावित माया
अब इस पुलिन की क्या कसूर ?
जग – जग हुँकार अब भी त्राण

कौन सुने इन दुर्दिन की व्यथाएँ ?
कहर उठी उर में चुभती भी कोमल हृदय में
लहर दे मारती स्वप्न में विकलता भी क्रदन करती
बहुरि अकेला भव में , दे अन्तिम कौन सन्देश ?
आशाएँ टूट पड़ी जैसे पतझड़ के तृण यहाँ

दे बोल उठते सब कैसे हो तू प्रिय / प्रियवर ?
मै सहचर तेरा सदा अगर एक हाँक दे दे मूझे
सच बताऊँ एक बार तू खंगाल दे उस उर को
बात भी बदल जाएगी जो दिए वचन मुख को

मुख – मुख में छिपा अग्नि के ज्वाल अंगार
जो दे विष उगल , हो जाएगा जग हाहाकार
दर्प हनन शेष नहीं , दे रही किस करुण कहानी को ?
मत पूछ दर्द – अग्नि हो जिसका , आँशू की गिरे बौछार घनघोर

दिव्य प्रज्वलित नहीं उठते उमंग में , जो दबे पाँव पसार
भरती एक बार जोश उत्साह , फिर मिटी , वहीं जगहार
फूल बरसे या चन्द्रहास , कौन कहे फिर कोमल या तेज धार
लौ दीपक में भी कहाँ वो ढ़ूढ़ती प्रज्वलित ज्वाल अंगार ?

निःशेष नहीं बचा , कहाँ वो कण भी जिसे ढ़ूढ़ते पन्थ न जाएँ भूल ?
कँटीली काँटो में भी कहाँ , देखे पुष्पित पुष्प खिले अब राहों में ?
राही राहों में देखें उपदंश , भ्रष्ट , मिथ्या , दम्भ भरा संसार
कहाँ जाऊँ ? इस भव छोड़ अंतर्मन के भग्नहृदय में घनघोर कहर प्रबल है ।

Language: Hindi
249 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

महानगर के पेड़ों की व्यथा
महानगर के पेड़ों की व्यथा
Anil Kumar Mishra
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
Shweta Soni
2781. *पूर्णिका*
2781. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
इशरत हिदायत ख़ान
ईश वन्दना
ईश वन्दना
विजय कुमार नामदेव
****बारिश की बूंदें****
****बारिश की बूंदें****
Kavita Chouhan
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
Phool gufran
विरह व्यथा
विरह व्यथा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
#सामयिक_गीत :-
#सामयिक_गीत :-
*प्रणय*
*शाश्वत सत्य*
*शाश्वत सत्य*
Shashank Mishra
मन सोचता है...
मन सोचता है...
Harminder Kaur
लोगों के दिलों में,
लोगों के दिलों में,
नेताम आर सी
देख परीक्षा पास में
देख परीक्षा पास में
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
झिटकू-मिटकी
झिटकू-मिटकी
Dr. Kishan tandon kranti
चलो चलें कश्मीर घूमने
चलो चलें कश्मीर घूमने
लक्ष्मी सिंह
चार लोग
चार लोग
seema sharma
अजीब सी चुभन है दिल में
अजीब सी चुभन है दिल में
हिमांशु Kulshrestha
उस देश का रहने वाला हूं
उस देश का रहने वाला हूं
राकेश पाठक कठारा
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
#ਸੱਚ ਕੱਚ ਵਰਗਾ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*मेरे दिल में आ जाना*
*मेरे दिल में आ जाना*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नया दिन
नया दिन
Vandna Thakur
मंजिल की चाह
मंजिल की चाह
Anant Yadav
" हम तो हारे बैठे हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बुंदेली दोहा- चंपिया
बुंदेली दोहा- चंपिया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मां महागौरी
मां महागौरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दुनिया में सबसे अच्छा यह अपना हिंदुस्तान है (गीत)
दुनिया में सबसे अच्छा यह अपना हिंदुस्तान है (गीत)
Ravi Prakash
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
सफल लोगों की अच्छी आदतें
सफल लोगों की अच्छी आदतें
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
सपने
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...