बहुमूल्य जीवन और युवा पीढ़ी
मानव जीवन विभिन्न प्रकार की संभावनाओं से भरा है । एक मनुष्य ही है जो इस संसार मे सब प्राणियों से सर्वश्रेष्ठ है !ये मानव योनी ऐसा है जिसमे जन्म लेने के लिए देवता और भगवान भी तरसते है। भगवान ने हमे सुंदर , सुडौल एवं आकर्षक शरीर दिया और इसे शरीर के सेवक के रूप में इंद्रियां भी हमे प्रदान किया । कई लोग कहते हुए मिल जाते हैं , कि इंद्रियां शरीर की शत्रु होती है परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है । हमारे भौतिक जगत मे आप देखेंगे कि एक सेवक अपने स्वामी के साथ बिल्कुल वैसा ही बर्ताव करता है , जैसा स्वामी ने उसे सिखाया है। हमारी इंद्रियां भी वैसी ही है, उसे जो हम सिखाते हैं वह वही करती है। कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य जीवन को आसान बनाने के लिए सुंदर शरीर , सेवकस्वरूप इंद्रीयां , सुझबुझ से के काम करने के लिए विवेक एवम् अनेक साधन भगवान द्वारा प्रदान किया गया ।किंतु , न जाने आज हमारे युवा पीढ़ी को क्या हो गया है , जो इस अनमोल शरीर की कीमत नही समझते। आज के इस विकट परिस्थिती मे जहाँ युवाओं को आत्मकल्याण और आत्मशोधन की बात सोचनी चाहिए वहाँ वे अश्लिलता को शान समझ बैठे है । आत्मविकास की अपेक्षा पतन की ओर जा रहे हैं । अभी के समय में आप किसी चौराहे से गुजर जाओ तो आपको सिगरेट , गुटखा और शराब के साथ युवा पीढ़ी लुढ़कती हुई जान पड़ेगी ।ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें जिंदगी केवल और केवल ऐसे कार्यों के लिए ही प्राप्त हुए हैं और हद तो तब हो जाती है , जब यही युवा तनाव के शिखर पर होता तब जीवन मूल्यों को समझे बिना उसे छत मे लटकता पंखे, रेलवे पटरी या नदी- समुन्द्र के हवाले कर मौत के साए में सो जाता है । एक पल भी उसे ये ख्याल नहीं आता की मेरी कि मां जिसने मुझे नौ महिने गर्भ मे दर्द से पाला, मेरे पिता जिसने जीवन का एक – एक पल केवल मेरे लिए जिया ,मुझे अपने कंधे पर बिठा कर दुनिया दिखाई। उन माँ – बाप के कितने अरमान जुड़े होंगे। माँ – पिता मुझे तरक्की की ऊँचाईयों पर देखना चाहते थे , जब उन्हें मेरा मृत शरीर दिखेखा तो उनपर क्या बितेगी । जब एक टूटे हुए लाचार माँ – बाप अपनी अरमानो को शव के रूप मे लेटा हुआ पाते तब उस समय उनका कलेजा फट जाता है। उन्हे अपनी जिंदगी असफल और बोझील प्रतित होती हैं । इसलिय हम यूवाओं को भारतिय अध्यात्म को अपनाकर जिवन जीना चाहिए ताकि तब हम तनाव के चरम सीमा पर हो तब उसे झेलने की शक्ति और आत्मविश्वास मिले। जब युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति को समझेगी तो उसे जीवन का मूल्य पता चलेगा और जीवन की देवता की साधना अराधना करते हुए सफलता की ऊंचाइयों को चूमेगा।
Gaurav Kumar
Vaishali Bihar