बहुत सूनी ये होली है
प्रिये इस बार आ जाओ, बहुत सूनी ये होली है
बनो रंग मुझपे छा जाओ, बहुत सूनी ये होली है।
सुधि बनकर वधू बैठी सजी सपनों की डोली में
समेटा विरह हल्दी संग सजी अपनों की रोली में
शगुन बन मुझको पा जाओ, बहुत सूनी ये होली है।
उम्मीदों से करो रोचना, सजा दो नेह का एक चित्र
मेरे भावों को छू फिसला तुम्हारी देह का एक इत्र
मेरे ऑंगन में आ जाओ, बहुत सूनी ये होली है।
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ