बहुत-सी प्रेम कहानियाँ
बहुत-सी प्रेम कहानियाँ
मर जाती हैं जातियों के तले दबकर,
जातियाँ हँसती हैं और
खिलखिला कर कहती हैं –
” लो मैंने तुम्हें मार दिया ”
और प्रेम अपनी आख़िरी साँस तक
एक फ़ीके जोश के साथ कहता है –
” जातियों ! एक दिन उठूँगा मैं
और दबा दूँगा तुम्हें गहरा, बहुत गहरा ”
प्रेम और जाति के इस अंतर्द्वंद्व में
दो प्रेमी भी होते हैं
जिनकी शादियाँ हो जाती हैं
अपनी-अपनी जातियों में।