बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
मेरी निगाहे उसे तलाश रही थी जो मुझे समझ सके ।
उन समझाने वाले के शौर के बीच एक अलगाव था।
फिर भी एक खामोशी साफ सुनी जा सकती थी।
और वो दो आँखे जरा हिम्मत करती तो मेरे पास आ सकती थी