Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Sep 2024 · 1 min read

बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।

बहुत लोग जमा थे मेरे इर्दगिर्द मुझे समझाने वाले।
मेरी निगाहे उसे तलाश रही थी जो मुझे समझ सके ।
उन समझाने वाले के शौर के बीच एक अलगाव था।
फिर भी एक खामोशी साफ सुनी जा सकती थी।
और वो दो आँखे जरा हिम्मत करती तो मेरे पास आ सकती थी

40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरा - मेरा
तेरा - मेरा
Ramswaroop Dinkar
नारी बिन नर अधूरा🙏
नारी बिन नर अधूरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
सनम की शिकारी नजरें...
सनम की शिकारी नजरें...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
जिन्दगी बने सफल
जिन्दगी बने सफल
surenderpal vaidya
इंसान को अपनी भाषा में रोना चाहिए, ताकि सामने वालों को हंसने
इंसान को अपनी भाषा में रोना चाहिए, ताकि सामने वालों को हंसने
*प्रणय*
समय ही तो हमारा जीवन हैं।
समय ही तो हमारा जीवन हैं।
Neeraj Agarwal
देखिए आप आप सा हूँ मैं
देखिए आप आप सा हूँ मैं
Anis Shah
पूनम का चांद
पूनम का चांद
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*बस एक बार*
*बस एक बार*
Shashi kala vyas
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?
मनोज कर्ण
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
Rajesh Kumar Kaurav
सच्ची लगन
सच्ची लगन
Krishna Manshi
*जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह (सात दोहे)*
*जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह (सात दोहे)*
Ravi Prakash
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
लेकिन मैं तो जरूर लिखता हूँ
gurudeenverma198
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
मैं जब भी लड़ नहीं पाई हूँ इस दुनिया के तोहमत से
Shweta Soni
जज़्बात - ए बया (कविता)
जज़्बात - ए बया (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
" मुस्कुराहट "
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़िंदगी है,
ज़िंदगी है,
पूर्वार्थ
4724.*पूर्णिका*
4724.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
सोचो अच्छा आज हो, कल का भुला विचार।
आर.एस. 'प्रीतम'
शायरी-संदीप ठाकुर
शायरी-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
সেয়াহৈছে সফলতা
সেয়াহৈছে সফলতা
Otteri Selvakumar
# लोकतंत्र .....
# लोकतंत्र .....
Chinta netam " मन "
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
VINOD CHAUHAN
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
दर्द ए गम था उसका, ग़ज़ल कह दिया हमने।
Sanjay ' शून्य'
Loading...