बहुत याद आता है वो वक़्त एक तेरे जाने के बाद
बहुत याद आता है वो वक़्त एक तेरे जाने के बाद
आशियाँ ‘आशियाँ’ कहाँ रहता है,किसी एक के जाने के बाद |
फट गया था आसमान किसी एक लम्हे में कभी
सिया कहाँ जाता है कोई लम्हा फट जाने के बाद |
अधूरा ही रहा फ़साना जिंदगी का ,एक अरसा हुआ
पूरी कहाँ होती है ग़ज़ल एक हर्फ़ निकल जाने के बाद |
कायल हो गए थे तेरे, तेरी खामोशी के इस क़दर
कि शोर लगी आवाज़ एक सुई के गिर जाने के बाद |
जुदा हो जाओगे तुम यकबयक एक लम्हा इस तरह
कि दर्द जुदाई का समझ आया बस तेरे जाने के बाद
आँखों से महसूस करते हैं तन्हाई तेरी, बैठकर तन्हा
एक रब के सिवा कौन दिखता है , तन्हां होने के बाद |
तुम्हारा अक्स बाहर निकल आता है तस्वीर से अक्सर
ज़िन्दगी बिखर जो गयी है आईना टूट जाने के बाद |
एक ज़माना हुआ बिना इत्र के भी खुद महक जाते थे कभी
कि बेमहक सी हुई है ज़िन्दगी ,इत्र की शीशी टूट जाने के बाद |
—-डॉ सीमा ( कॉपीराइट )