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15 Sep 2020 · 1 min read

बहुत याद आई…

हमें फिर से तेरी बहुत याद आई
और गिन गिन के तारे ये रातें बिताईं
जो गुजरे थे लम्हें वो भूली सी बातें
थीं धुंधली सी यादें जो हमने छुपाईं
हमें फिर से तेरी बहुत याद आई
कभी मैं जो हंसता तो वो मुस्कुराती
मेरे रूठ जाने पर पलकें भिगाती
वो सीने से लगकर मेरे रोने लगती
और ख़्वाबों में आकर वो हमसे लिपटती
वो कहती खुदा से भले जान ले लो
मगर दूर कर दो ये लम्बी जुदाई
हमें फिर से तेरी बहुत याद आई
सभी रो रहे हैं मेरे साथ शायद
बहुत तेज फिर से है बरसात शायद
वो बूंदों की रिमझिम तुम्हारी है आहट
मुकम्मल है चाहत हमारी ये शायद
कभी आसमां से तुम देखो उतर के
कहानी अधूरी जो तुमको सुनाई
हमें फिर से तेरी बहुत याद आई
हमें फिर से तेरी बहुत याद आई
… भंडारी लोकेश ✍️

1 Like · 1 Comment · 364 Views
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