बहुत बातूनी है तू।
बहुत बोलती है,
छोटी-सी है तू,
थकती नहीं बचपन की गुड़िया,
बहुत बातूनी है तू।
बेटी है अरमान लेकर,
जीने की खातिर जन्मी है,
छोटी मुँह बड़ी बात कहेगी,
बहुत बातूनी है तू।
नन्हीं-सी जान लाडली,
भाग्य से आई है धरा पर,
परियों-सी प्यारी हँसी है तेरी,
बहुत बातूनी है तू।
कोमल पुष्प की कली,
अरमान भरे हुए मन में,
बातों से मोह लेती सभी को,
बहुत बातूनी है तू।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।