बहुत दिन हो गए हैं तुझ से मिल के
ग़ज़ल
बहुत दिन हो गए हैं तुझ से मिल के!
बता कैसे मैं पूछूँ हाल दिल के!!
वबा की ये हवा कैसी चली है!
खुशी आई नहीं है कोई खिल के!!
नहीं है ज़िंदगी में रोशनी अब!
बता कैसे सिलूँ मैं ज़ख्म दिल के!!
बरातें अब कहाँ होंगी मयस्सर!
अधूरे हैं सभी अरमान दिल के!!
पड़ा है ख़ून पटरी पर अभी तक!
गए मजदूर हमसे कल ही मिल के!!
नहीं बाकी बची है नौकरी अब!
अदा कैसे करूँ मैं दाम बिल के!!
आभा सक्सेना दूनवी