बहुत चाहा था — रिश्ता प्यार का —– ( मुक्तक)
बहुत चाहा था हमने तो,तुम्हे हम रास न आए।
किया था इंतजार कितना ,मगर तुम पास न आए।।
लगाई उम्मीदें थीं तुमसे, हो गई भूल यह हमसे।
जब से टूटा ये दिल नाजुक , कसम से सो नहीं पाए।।
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कर ली तुमने अपने मन की,खबर न ली मेरे तन की।
जरूरत थी तुम्हे धन की, झोपड़ी थी मुझ निर्धन की।।
मिली रूखी चाहे सूखी,पेट तो भर लिया हमने।
दुवाएं देते रहेंगे हम, हो लंबी उम्र तुम्हारे जीवन की।।
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रिश्ता प्यार का हम तो,जीते जी कभी न तोडेंगे।
मिले न तकलीफे तुमको,प्रभु के हाथ जोड़ेंगे।।
खुशियां तुमको मिले सारी,सह लेंगे संकट हम भारी।
कर लेना याद किसी भी पल,साथ आपका न छोड़ेंगे।।
राजेश व्यास अनुनय