बहुत गुमाँ है समुंदर को अपनी नमकीन जुबाँ का..!
बहुत गुमाँ है समुंदर को अपनी नमकीन जुबाँ का..!
बेचारा दरिया मिलते ही अपनी मिठास खो देता है।
कुछ दिलवाले यूँही दूर तक दरिया से बहते रहते है
कोई तूफाँ के लहरों सा,कोई अंदर ही अंदर रोता है।
©® – ‘अशांत’ शेखर
20/04/2023