Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2020 · 1 min read

— बहुत कुछ सीखा है —

जब से बड़े हुए हम
न जाने कहाँ कहाँ से
गुजर गए हम
कभी तकदीर ने सताया
कभी जमाने ने रुलाया
कभी गिर गए जमीन पर
मंजिल को हांसिल करने में
कभी उठ कर चलने में

जिन पर करते थे भरोसा
उनके झूठे वादों से डगमगाकर
मेहनत से पीछे न हटे
पर मजिल पा न सके
कभी किसी ऐतबार से तो
कभी किसी के झांसे ने सताया

बहुत कुछ सीखा हमने
फिर भी यारों हौंसला नहीं गवाया
कौन सीख के आता है गर्भ से
सब कुछ् तो यही अपनाया
हिम्मत देती न थी साथ कभी कभी
पर फिर भी दिल नहीं घबराया

चलना आगे बढ़ना
बस चलते ही चले जाना
रूक कर भी लगा
मानो पीछे से भगा रहा है जमाना
शायद वक्त ही था
जिस ने हारने से पहले हम को जीताया

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
इश्क तू जज़्बात तू।
इश्क तू जज़्बात तू।
Rj Anand Prajapati
तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा ।
तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा ।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
होली आ रही है रंगों से नहीं
होली आ रही है रंगों से नहीं
Ranjeet kumar patre
3307.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3307.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
" तेरा एहसान "
Dr Meenu Poonia
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
Manisha Manjari
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
यु निगाहों का निगाहों से,
यु निगाहों का निगाहों से,
Manisha Wandhare
ज़िंदगी  ऐसी  जियो , ज़िंदा रहो  चहको सदा ,
ज़िंदगी ऐसी जियो , ज़िंदा रहो चहको सदा ,
Neelofar Khan
संगीत का भी अपना निराला अंदाज,
संगीत का भी अपना निराला अंदाज,
भगवती पारीक 'मनु'
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
शुक्र है, मेरी इज्जत बच गई
शुक्र है, मेरी इज्जत बच गई
Dhirendra Singh
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
Dr. Alpana Suhasini
" महक संदली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
Rajesh Kumar Arjun
उड़ान
उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
आर.एस. 'प्रीतम'
रिश्ते की नियत
रिश्ते की नियत
पूर्वार्थ
सुबह
सुबह
Neeraj Agarwal
आज का इन्सान हर *पहर* मर रहा है ।।
आज का इन्सान हर *पहर* मर रहा है ।।
Ashwini sharma
मैं और वो
मैं और वो
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चिंतन करत मन भाग्य का
चिंतन करत मन भाग्य का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
"एजेंट" को "अभिकर्ता" इसलिए, कहा जाने लगा है, क्योंकि "दलाल"
*प्रणय*
"किस पर लिखूँ?"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
क़दमों के निशां
क़दमों के निशां
Dr Mukesh 'Aseemit'
Loading...