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15 Sep 2023 · 1 min read

*बहुत कठिन डगर जीवन की*

बहुत कठिन डगर जीवन की
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बहुत कठिन ड़गर जीवन की।
सदा सुनती मगर जीवन की।

जली है आग तन – मन हर दिन,
बुझे लपटें अगर जीवन की।

न ही कोई मिला संगी साथी,
कहीं खोई खबर जीवन की।

गिरे बिजली बदन जल उठता,
नहीं मिलती कदर जीवन की।

गुजर कैसेब् करूँ मनसीरत,
बड़ी मुश्किल बसर जीवन की।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

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