*बहुत अच्छाइयाँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में (हिंदी गजल
बहुत अच्छाइयाँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
बहुत अच्छाइयाँ हैं, मन्दिरों में-तीर्थ जाने में
मगर रह जाइएगा मत, ये जाने और आने में
(2)
वो घर पर दीख जाएगा, मगर बस शर्त इतनी है
तड़प भीतर तुम्हारे हो, उसे घर पर बुलाने में
( 3 )
भले जिस हाल में हम हों, वो हमसे रोज मिलता है
उसे मतलब हमारे कब, नहाने-मत नहाने में
(4)
कभी वो पल में आता है, कभी वो रूठ जाता है
कई दिन हम लगे रहते हैं, उसको बस मनाने में
(5)
उन्हें बरसात में देखो, उन्हें फूलों में-पत्ती में
मेरे सरकार चिड़ियों के, दिखेंगे चहचहाने में
(6)
बहुत नजदीक से मैने, उन्होंने भी मुझे देखा
जमाना अब भी उलझा सिर्फ, रस्मों को निभाने में
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451