बहिन !
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात ! जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
बहिन
०००
अनूठा मात-पितु ने जो दिया उपहार है बहना ,
फुहारें श्रावणी सी ज्यों झरें वो प्यार है बहना,
चहकती जो फिरे चिड़िया सरीखी मन लुभाती है ,
कभी लड़ती, झगड़ती ,रूँठती मनुहार है बहना ।
०
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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🪷🪷🪷