बहिना
??छंद मुक्त रचना??
बहिना
बहिना मेरी नटखट चंचल
करती हर पल शैतानी
बात बात में रूठ जाती
करती है मनमानी।
कभी गिराती खेल खिलौनें
कभी फैंकते हे सामान
उछल कूद करती रहती है
कभी शरारत भाई से।
सावन आया जिस दिन से
झूला रोज झूलती है
राखी का करती इन्तजार
कहती भइया को बांधूगी राखी।
मेरी छोटी बहिना है सबकी दुलारी
पापा की हे जान भाई की है प्यारी।
सो जाती जब मेरी बहिना
घर में हो जाता सन्नाटा्
भाई बहिन का प्यार अटूट
ये देख दिल खुश हो जाता।
रहना सदा खुश मेरी बहिना
दिल यही दुआ हे देता
ये सोच के दिल हे रोता।
चली जायेगी ससुराल बहिना
कैसे रह पायेगें उसके बिना
फूलोँ सी पली नाजों से बढ़ी
मेरी राज दुलारी बहिना
प्यारी बहिना।
सुषमा सिंह