बहाव
जेठ महिने की चिलचिलाती धूप के पश्चात जब बारिश की पहली बूंदे धरा पर पड़ी तो धरा ने उन्हें अपने आगोश में ले लिया ।
हर कोई खुशी से भीगने लगा बहुत से बच्चे हल्ला करते हुए मस्ती में झुमते भीगने लगे । प्रेमी युगल अपने अपने साथी से मिल कर बारिश की फुहारों का आनंद उठाने की जुगत में लग गए । हर कोई पहली बारिश का स्वागत अपनी अपनी इच्छा अनुसार करने लगा
जोर की गड़गड़ाहट के साथ आसमान के सीने पर बिजलियां चमकने लगी वर्षा का आवेग निरंतर बढ़ने लगा ।
एक तरफ खुशी का सबब दूसरी तरफ कहर बन टूट पड़ा ।
बारिश की बूंदें छोटी छोटी झोपड़ियों के अंदर सारे शहर की गंदगी समेटे नालों की तरह बहने लगी । चीजें बहने लगी टीन टप्पर की छतों से पानी झरनों की तरह टपकने लगा ।
बारिश का बहता पानी अपने बहाव में न जाने कितनी आंखों के आंसू भी बहा कर ले गया और जब बारिश रुकी तो कुछ भी बाकी न था । लोग आंखों में बचे खुचे आंसू समेटने में लग गए ।
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© गौतम जैन ®