बहारों का मौसम सज़ा दिजिए ।
(2) ग़ज़ल
–‘ ” “—–‘ ” “—–‘ ” “—-‘ “—
बहारों का मौसम सज़ा दिजिए ।
झलक तो जरा सा दिखा दीजिए ।।
यूं गुमसुम से क्यों हो बता दिजिए ।
जरा दिल की बातें सुना दिजिए ।।
नज़र से सदा वार करते हैं वो।
कभी आके मरहम लगा दिजिए ।।
सहे दर्द कैसे बता तो सनम ।
हमें आप दिल की दवा दीजिए।।
नफरतों को रोको चिंगारी न हो।
नहीं दुश्मनी को हवा दीजिए।।
जला कर दिया झोपड़ी में सुनो ।
उन्हें रोशनी का पता दीजिए।।
न देखें तुझे ” ज्योटी” रहती तन्हा।
ले बाहों में मुझको छुपा दीजिए।।
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞✍️