बहर- 121 22 121 22 अरकान- मफ़उलु फ़ेलुन मफ़उलु फ़ेलुन
#मतला
ज़मीं में उगती या आसमाँ से।
ये हसरतें आईं किस जहाँ से।
#शेर
जो नाम तेरा पुकारती थी,
वो इक सदा आई किस मकां से।
#शेर
सफ़र नया था नया मुसाफ़िर,
बिछड़ गया कैसे कारवां से।
#शेर
है सर झुकाया उसी की चौखट,
तुम्हीं को माँगा है बस ख़ुदा से।
#मक़्ता
अलग है अपना मिजाज ‘नीलम’
कभी न मुकरे तर्क- ए -वफ़ा से।
नीलम शर्मा ✍️
तर्क- ए -वफ़ा – कृतज्ञता