बहरों तक के कान खड़े हैं,
बहरों तक के कान खड़े हैं,
हर दिन तीव्र हो रहा शोर।
फिर मेनका हुई है प्रस्थित,
विश्वमित्र के मठ की ओर।।
अब “बच के रहना रे बाबा, तुझ पे नज़र है” वाला गीत याद आ रहा है, भक्त-मंडली को। जय बाला जी महाराज की।।
🙅प्रणय प्रभात🙅