बहरी क्यों सरकार आज है
बहरी क्यों सरकार आज है…
बहरी क्यों सरकार आज है
इतनी क्यों टकरार आज है…
कहाँ गया धरती का सेवक
दिखता बस दरबार आज है….
किया बग़ावत हक के ख़ातिर
भीषण फिर प्रतिकार आज है..
बिलख रहें जन हाथ पसारे
मिलता बस इंकार आज है….
धोखा, लूट हो रहा खुलकर
उनपे न एतबार आज है…
कैद हो गई सबकी खुशियाँ
बोलो कहाँ बहार आज है….
देख दशा हलधर की ‘राही’
लगता बस व्यापार आज है…
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)