बहन भाई भी ___ कविता
_____ भाई दूज ______
सूझबूझ से चल रहे रिश्ते वे ही बचे हैं।
वरना आज के दौर में,
बहन भाई भी कहां एक दूजे को जंचे हैं।।
गरीबी अमीरी सुख-दुख सभी के दो पहलू हैं,
विधि के विधान ने ही तो यह नियम रचे हैं।।
वक्त नहीं है, करते है बहाना अगर नही आना,
बाजार में जा कर देखो तो कर रहे फालतू चर्चे हैं।।
भाई बहन के नाजुक रिश्ते न यों बदनाम करो,
आपके ही नहीं बहन के भी हो रहे खर्चे है।।
न आओ जाओ कोई बात नहीं, कौन सही,
बहन जाने या भाई, पास नहीं सबूत के पर्चे हैं।।
हम चाहेंगे भाई बहन के यह रिश्ते न टूटे।
अनुनयअटूट बंधन ही “” भाई दूज”” में बचे है।।
राजेश व्यास अनुनय