बहन बेटी
*** बहन – बेटी (सजल) ***
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बहन -बेटी होती सबकी सांझी,
उड़ा देती उनको पल में आंधी।
नजरबंदी में रहती आजीवन,
नजर ना आता है उनका मांझी।
पिता – भाई की रहती परछाई,
नहीं होता दुख का कोई साथी।
सिमट जाता है मुट्ठी में जीवन,
अधूरा है उनका मक्का-काशी।
हवा में कब लेती खुलकर सांसें,
चढ़ाई जाती हैं पल पल फांसी।
हुई मनसीरत चाहत ना पूरी,
न हर कोई लक्ष्मीबाई झांसी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)