बहन के देहान्त पर अपने बेटे की तरफ़ से
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी
थी छोटी मगर घर सबसे बडी थीं
कि मेरे लिये तुम सभी से सडी थीं
तुम्हारे लिये चाँद था ईद का मैं
मेरे वास्ते तुम ही दर पर खडी थीं
पुकारुंगा किसको मैं आवाज़ दूँगा
न पकडूंगा उंगली मैं आकर तुम्हारी
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी
न माँ आप थी मैं भी बेटा नहीं था
कलेजे का मैं कोई टुकडा नहीं था
मगर मां से बढकर के चाहा था तुमने
मुझे छोड दोगी ये सोचा नहीं था
मुझे छोड कर तुम कहां जा बसी हो
जगह तो नहीं थी वो ऊपर तुम्हारी
मुझे याद आती है अक्सर तुम्हारी
मेरे नाज़ सारे उठायेंगे लेकिन
मुझे लाल कहकर बुलायेंगे लेकिन
कि मैं काम सबके बनाकर चलूंगा
सभी हक़ भी मुझपर जतायेंगे लेकिन
तुम्हारी तरह कोई हरगिज़ न होगा
न आयेगा कोई बराबर तुम्हारी
मैं छोटा कल अब बडा हो गया हूँ
मैं पैरों पे अपने खडा हो गया हूँ
मगर तुम नहीं हो तो कुछ भी नहीं है
तुम्हारे बिना मैं पडा हो गया हूँ
मुझे प्यार कोई भी करता नहीं है
जरुरत है मुझको बेज़र तुम्हारी