बहती जा रही है ये जिन्दगी —आर के रस्तोगी
बहती जा रही है ये जिन्दगी, बस किनारा ढूंढते रह जाओगे |
जिन्दगी एक ऐसी गहरी दरिया है,जिसे पार नहीं कर पाओगे ||
जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम है,मुर्दे उसे कैसे जी पायेंगे ?
वो तो पहले ही मर चुके है,जिन्दगी का कैसे लुत्फ़ उठायेगे ||
जिन्दगी जीने का एक हूनर है,इसको सभी जी नहीं पाते है |
जिन्दगी की जवानी निकल जाती है,वे बाद में पछताते है ||
जिन्दगी एक परछाई है,जो तुम्हारे साथ चलती रहती है |
परछाई है जब तक तुम्हारी,ये जिन्दगी चलती रहती है ||
जिन्दगी पर गुबान न कर,ये तो पानी का बुलबुला है |
कब खत्म हो जाये पता नही,ये तो एक जलजला है ||
जिन्दगी पर लिख रहा रस्तोगी,उसका कोई पता नहीं |
कब उसकी लेखनी बंद हो जाये,ये उसको खबर नहीं ||
आर के रस्तोगी
मो 9971006425