बहता पानी
मेरा न रंग रूप आकार है
स्वादहीन गन्धहीन हूं ,
पर सबकी जिंदगानी
मैं पानी ।
करता हूं लम्बी यात्रा
समंदर से चलता हूं,
हवा के सहारे बादल बन
यहाँ से वहाँ दौड़ता हूं,
देख देख सबको होती है हैरानी,
मैं पानी।
पीकर जीव मुझे अपनी प्यास बुझाते हैं,
दुःख होता है तब
जब बेवजह गिराते हैं ,
ऐसे न करो बर्बाद मुझे प्राणी, वरना मीट जाए तुम्हारी निशानी,
मैं पानी ।
जहां कमी है मेरी
वहाँ लोग लड़ते है,
लंबी लाईन लगा के
पानी पानी चीख़ते हैं,
घर घर मेरी कहानी
मैं पानी ।
जिस रंग के बर्तन में रख दो
उस बर्तन जैसा दिखता हूं,
गंदा हो जाऊंगा एक जगह रहने पर
इस लिए बहता हूँ,
लगे धूप जो मुझपर वाष्प बन उड़ जानी
मैं पानी ।
देह और देवालय में मेरा ही है काम
जीवन देता हूँ सबको , न करता हूं गुमान
मेरे बिना सब मर जानी
मैं पानी ।
मेरी समरूपता से जनजीवन होता है
नियंत्रण,
मेरे अधिकता से बाढ़ को मिलता है
आमंत्रण;
मैं हीं जीवन मैं हीं मृत्यु ,
मेरी कमी से है परेशानी
मैं पानी ।
पानी बचाएँ
जीवन पाएं ।। साहिल की कलम से…?