बस हम ही एक गलत हैं
सारी दुनिया यहाँ अच्छी है,
बुरे तो केवल हम ही हैं ।
यहाँ खुशी मिलता है,
सभी से सबको,
जमाना केवल हमसे दुःखी है ।।
पैदा किया परमात्मा ने,
सबको धर्मात्मा बनाकर ।
इसलिये सबका,जन्म हुआ इंसानों में,
बस एक राक्षस कुल का हम ही हैं,
जिसका जन्म हुआ शैतानों में ।।
यहाँ सभी के दिल में देशभक्ति है,
बस एक मेरे मन में गद्दारी है ।
काफी परेशान रहता है दिल यह सोचकर कि,
सारी दुनिया सच्ची है, झूठे केवल हम ही हैं,
सबकोई यही रटत है, बस हम ही एक गलत हैं ।।
अब ऐसी हालातों में,
हम किसको अपना मित्र बनायें,
किसको अपना ये दर्द दिखायें ।
यहाँ हाल हो रहा है कैसा मेरा,
हम किससे अपना हाल सुनायें ।।
हमारी बातों का यहाँ,
जब सच कोई मानेगा नहीं, सच्चाई कोई जानेगा नहीं ।
तो क्या फायदा है हमें, यहाँ किसी से मुँह लगाने का,
जब सबकोई यही रटत है कि, हम ही एक गलत हैं,
तो बस, हम खुद भी मान ही लें कि, हम ही एक गलत हैं, बस हम ही एक गलत हैं ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 11/09/2023
समय – 03 : 41 ( रात्रि )