बस संवरती रहे
वो गरजती रहे ,
वो बरसती रहे ।
मेरी जान है वो याद मुझे करती रहे ।
ऐ खुदा तुझसे इतनी सिफ़ारिश मेरी ,
वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।
हो ना हैरान वो ,
उसको एहसास दे ।
मैं भी खुश हूं यहां, बस तेरे वास्ते ।
जब भी मौका मिले ,अपनेपन से उसे ,
मेरी खातिर दुआएं भी करती रहे ।
वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।
रौशनी दे गई ,
मोम सी गल गई ।
मुझको दरिया बना बर्फ में ढल गई ।
उसको जीना पड़े ना बंदिशों में कभी ,
कैद हो ना कभी वो महकती रहे ।
वो जहां भी रहे बस संवरती रहे ।।
✍️ धीरेन्द्र पांचाल