— बस लिख देता हूँ —
किसी भी समय , किसी भी पल
लिखने को चल देता है यह व्याकुल मन
कौंधता है जब चारों ओर एक शोर
लगता है जैसे होने लगी है भौर !!
सोचता हूँ आज कुछ ऐसा लिख दूँ
मेरे दिल को कुछ तो आये सकून
मेरे मन में उठती जो जवाला है
उस के लिए कुछ तो कम करूँ शोर !!
कभी कभी लगता है जैसे
हवाओं के साथ आने लगा कुल जोर
उड़ा के ले जाने को त्यार होती है
इन हवाओं का खिलखिलाता शोर !!
कभी पहाड़, कभी नदिआ ,कभी समंदर
कभी कभी आसमान से परिंदों का शोर
चेहचहा रही हैं वातावरण में अपनी धुन में
जैसे बजती हो वीणा के तान सा मधुर शोर !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ