बस यूं ही कुछ हो गया था।
बस यूंही कुछ हो गया था।
वह मिले मैं खो गया था।
नींद सदियों से रुकी थी।
गोद पाई सो गया था।
मैं समझ लूं तो बताऊं।
क्या से क्या मैं हो गया था।
रंग सारे थे जहां के ।
गम वो अपने धो गया था।
बारहा दिल को बताया।
गैर था जो खो गया था।
खूब मेहनत की न मिटता।
जाने क्या वह बो गया था।
दुनिया कहती थी दीवाना।
दोनों को कुछ हो गया था।
खोजते फिरते थे हरपल।
कुछ तो ऐसा खो गया था।
लोग कहते थे अलग हूं।
कुछ तो मुझमें हो गया था।
वो भी आशिक बनके लौटा।
राय देने जो गया था।
जाने कैसी राह थी वह।
जो गया वह खो गया था।
पास थी जिसके हवेली।
घाट पर ही वो गया था।
वह पलंग का था दीवाना।
बांस पर जो सो गया था।
साथ उसके जा न पाया।
छोड़ कर घर जो गया था।
“नजर” उसकी नज़र समझो।
जो “नजर” का हो गया था।
Kumar Kalhans