” बस यूँ ही” (शायरी)
(१)
जुल्फें तेरी बिखरी हैं काली घटाओं सी,
देखो कही आज आसमान न बरस पड़े ।
(२)
तेरी शोखी और सादगी का क्या कहना,
तेरी हर अदा दिल को घायल कर जाती है ।
(३)
झुकी नजरों से यूं छुप छुप कर मुस्कुराना तेरा,
लगता है हुजूर ने आज कत्ल की ईरादा किया है।
(४)
अधरों में छुपी मुस्कान को खुलकर बिखरने दे,
के कलियों को भी खिलने का एक बहाना मिले।
(५)
खुलके बिखरी जो तेरी जुल्फें बादलों को साँस मिली,
मचल रहे थे बड़ी देर से दुनिया पर छा जाने के लिए ।
(६)
बाँध के रख लिया चोटी में वो शरारती हवा का झोंका ,
हर पल जो बिखेर देता था लटों को तुम्हारे गालों पर ।
(७)
नाराज न हुआ कर मुझसे कभी, जान गले में आ के अटक जाती है,
तेरा खामोशियाँ कचोटती है मुझे धड़कने बेतरतीब हो भटक जाती है ।
(८)
कत्ल करने का नायाब हथियार है रखते हो तुम छुपा के,
थोड़ा सा मुस्कुरा दो जमाना यूँ ही तमाम हो जायेगा ।
#सन्दीप_कुमार