*बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है (हिंदी गजल)*
बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है (हिंदी गजल)
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1)
नहीं मरेंगे हम यह मन का, सबको केवल भ्रम है
जन्म ले रहा मानव पाता, मृत्यु सदा से क्रम है
2)
बैठे-बैठे फल खाने को, कल्पवृक्ष कब मिलता
फल के साथ जुड़ा धरती पर, सदा-सदा से श्रम है
3)
चट्टानों के भीतर से जब, नदी निकलती देखी
समझ गया मैं हृदय बहुत ही, कोमल इसका नम है
4)
माता और पिता के ऋण से, कभी उऋण कब होगे
जितना चाहे भले चुकाओ, फिर भी रहता कम है
5)
संरक्षण दो गायों को यह, तुमको रक्षण देंगी
दूध गाय का अद्भुत होता, मॉं की ममता सम है
6)
लोभ-मोह की दुनिया में जो, रमा हुआ है मानव
उसे पता क्या नजर रख रहा, उसके ऊपर यम है
7)
किसे पता क्या लिखा भाग्य में, जीना किसको कब तक
बस यह समझो बॅंधा कमर पर, सबके टाइम-बम है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451