बस तेरी याद बाकी है ….
आज इन गलियारों में सुनी राह दिखती है?
ये खुलती बाहें, ये बड़ते हाथ
होकर न किसी के भी,
किसी की परछाव दिखती है।
और आज भी हर सांस में,
तेरी खुशबू महकती है।
मैं जमाना भूल बैठा हुँ,
बस तेरी याद बाकी है ….
ये हर पल झपकती पलकें
ये हर टपकते आँसु,
ये हर गुजरता लम्हा,
मुझे मदहोश करता है,
मैं जमाना भूल बैठा हुँ,
बस तेरी याद बाकी है ……
वो महकता लाल फूल,
आज पन्नों मे दफन,
वो तेरा हंसता चेहरा,
आज आँखो में दफन,
ये हर गुजरती गालियों में,
बस तेरी तलाश जारी है,
और जान तो कबकी गँवा बैठें,
बस अब ये लास बाँकी है,
मैं जमाना भूल बैठा हूं।
बस तेरी याद बाकी हैं…….
(निशब्द )
Harshit Nailwal