बस तुम
मैं सोचती हीं रहतीं हूं तुम्हें याद आते हो और बरस
कर चले जाते हो बस तुम तो,
मैं चाहती हीं रहतीं हूं तुम्हें फिज़ाओं में खुशबू बनकर
महक जाते हो बस तुम तो।
मैं देखती हीं रहतीं हूं तुम्हें आंखों में ख्वाब बनकर
समा जाते हो बस तुम तो,
मैं कहती हीं रहतीं हूं तुम्हें होंठों पे नगमे बनकर
थिरक जाते हो बस तुम तो।
मैं लिखती हीं रहतीं हूं तुम्हें पन्नों पर शब्दों की जगह
ढलते रहते हो बस तुम तो,
मैं संवारना चाहतीं हूं तुम्हें काश, मेरे आंचल में गुलाब
की तरह बिखर जाओ बस तुम तो।